नवरात्रि पर कुमारिका पूजन का विशेष महत्व है, शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन कुमारिकाओं की पूजा कर उसे भोजन करवाएं । सुहागिन अर्थात प्रकट शक्ति व कुमारिका अर्थात अप्रकट शक्ति । प्रकट शक्ति का कुछ अपव्यय हो जाता है, अतएव सुहागिनों की अपेक्षा कुमारिकाओं में कुल शक्ति अधिक होती है ।
Know how to do kumarika-pujan (Kanjak worship)
On Navratri, there is special importance of worshiping Kumarika, according to the scriptures, worship the Kumariks daily and get them food. Suhagin means manifest power and kumarika means undiscovered power. There is some dissipation of the manifest power, hence the total power is higher in the kumaris than in the suhaagins.
कुमारिका-पूजन का शास्त्रीय आधार एवं महत्त्व
‘कुमारिका’ अप्रकट शक्तितत्त्व का प्रतीक है । इसलिए पूजा करने से उसमें विद्यमान शक्तितत्त्व जागृत होता है और उसकी ओर ब्रह्मांड की तेजतत्त्वात्मक तरंगें आकृष्ट होने में सहायता मिलती है।
इसके उपरांत उसके द्वारा यह तत्त्व सहजता से वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है, इसके कारण प्रत्यक्ष चेतनाजन्य माध्यम से शक्ति-तत्त्वात्मक तरंगों का लाभ पाने में सहायता मिलती है।
नौ दिन कार्यरत देवीतत्त्व की तरंगोंका, अपनी देह में संवर्धन होने हेतु, भक्तिभाव से कुमारिका-पूजन कर उसे संतुष्ट किया जाता है।
कुमारिका में संस्कारों के प्रकटीकरण भी न्यून होने के कारण, उससे देवीतत्त्व का अधिकाधिक सगुण लाभ पाना संभव होता है। इसलिए नवरात्रि में कुमारिका-पूजन का महत्त्व है।
कुमारिका-पूजन ऐसे करें
- नवरात्रि के नौ दिन, आगे दिए अनुसार प्रतिदिन कुमारिकाओं को सम्मानपूर्वक घर पर बुलाएं। ‘नवरात्रि’ में किसी भी एक दिन ‘नौ’ की विषम संख्या में कुमारिकाओं को बुलाने की भी प्रथा है ।
- कुमारिकाओं को बैठने के लिए आसन दें ।
- इस भाव का उनकी पाद्य पूजा करें कि उनमें देवीतत्त्व जागृत हो गया है ।
- देवी को भानेवाला भोजन कुमारिकाओं के लिए केले के पत्ते पर परोसें । (देवी को खीर-पूरी-काले चने भाते हैं।)
- कुमारिकाओं को नए वस्त्र और मनभावन उपहार देकर उन्हें आदिशक्ति का रूप मानकर भावपूर्वक नमस्कार करें।’
- कई स्थानों पर चंदन के मस्ताभिषेक और महावर लगाने का भी प्रचलन है।
कु. कृतिका खत्री, सनातन संस्था